साल में सिर्फ एक ही दिन क्यों, अपनी जननी, अपनी मां के नाम करते हो, बेगैरतों, वही है जिसने दिया यह जीवन है, फ़िर बुढ़ापे में क्यों खुद से अलग, उस मां को करते हो, 1याद करो जब बचपन में, मां लोरी गा के सुलाती थी, मां कि गोदी में सिर रखे बिना, तुम्हें नींद भी तो नहीं आती थी, फिर क्यूं आज वही मां, दाने दाने को मोहताज है... तुम जैसों को जन्म दिया जो उसने, क्या उसका यह महा पाप है, अभी भी वक्त है सुधर जाओ, चलो घर से निकलो, मां को घर वापिस लाओ। छोटा सा कवि 12th May 2019 (1:37 PM) #mothersday #mom #maa #parents #writer #poet #poem #poeticabhishek #poetica #love #peace