पैरवी तेरे इश्क़ की न जाने हमसे, किस-किस ने कब-कब की, कभी चाँद ने कभी सितारों ने, कभी-कभी चाँदनी ने भी की। दूर ही रहना चाहता थे हम हमेशा ही, इन इश्क़ की गलियों से, कभी ख्वाबों में बुलाकर, कभी रातों को जगा कर तूने पैरवी की। हमने हर पल कोशिश की, तुझसे और तेरे प्यार से दूर रहने की, तेरी चाहत के फसाने ने, तेरा दीवाना बना तेरे करीब कर दिया। ♥️ Challenge-485 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।