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मन में उमंग लिए, तन में तरंग लिए। बांधवगढ़ के जंग

मन में उमंग लिए, तन में तरंग लिए। 
बांधवगढ़ के जंगल मे, बाघ देखने की चाह लिए ।।
जंगल की सफारी पर साथियों संग बैठ चले।
पहाड़ियां,पगडंडियो में हिचकोले 
खाते चले।। 
फूल, पेड़, झाड़ियों के बीच ,
चीतल, हिरण ,बंदर, लंगूर
 मोर, मनमोह लिए ।
🐯 बाघ देखने की लालसा अभी है अधूरी।
 देखते हैं यह आशा कब होगी पूरी।।
 घंटो गुजार दी तब सूरज की किरण  नजर आई।
  मदमस्त धीर -गंभीर 🐯 बाघिन चहल-कदमी करती आई।।
 मन रोमांचित, सफल हुई आशा। पूरे हुए अरमान, मन की बिपाशा।।
 देखो क्या खूब रही।
 उमरिया में बांधवगढ  की यात्रा।।
  
                नवीन पाठक बांधवगढ़ की यात्रा
मन में उमंग लिए, तन में तरंग लिए। 
बांधवगढ़ के जंगल मे, बाघ देखने की चाह लिए ।।
जंगल की सफारी पर साथियों संग बैठ चले।
पहाड़ियां,पगडंडियो में हिचकोले 
खाते चले।। 
फूल, पेड़, झाड़ियों के बीच ,
चीतल, हिरण ,बंदर, लंगूर
 मोर, मनमोह लिए ।
🐯 बाघ देखने की लालसा अभी है अधूरी।
 देखते हैं यह आशा कब होगी पूरी।।
 घंटो गुजार दी तब सूरज की किरण  नजर आई।
  मदमस्त धीर -गंभीर 🐯 बाघिन चहल-कदमी करती आई।।
 मन रोमांचित, सफल हुई आशा। पूरे हुए अरमान, मन की बिपाशा।।
 देखो क्या खूब रही।
 उमरिया में बांधवगढ  की यात्रा।।
  
                नवीन पाठक बांधवगढ़ की यात्रा

बांधवगढ़ की यात्रा #कविता