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सुनो, आज मुझे तुमसे कुछ कहना है गुस्से में वो तुम्

सुनो, आज मुझे तुमसे कुछ कहना है
गुस्से में वो तुम्हारी भौ का सिकुड़ना
नाक पे तुम्हारी बून्द बून्द पसीने का फिसलना
यकीन मानो अब इसी अदाओं के सहारे तो 
जिन्दा रहना है।
सुनो,,  आज मिझे तुमसे कुछ कहना है

  "हितेश यादव" poetry by hitesh yadav
  यादें--(भाग--५)
सुनो, आज मुझे तुमसे कुछ कहना है
गुस्से में वो तुम्हारी भौ का सिकुड़ना
नाक पे तुम्हारी बून्द बून्द पसीने का फिसलना
यकीन मानो अब इसी अदाओं के सहारे तो 
जिन्दा रहना है।
सुनो,,  आज मिझे तुमसे कुछ कहना है

  "हितेश यादव" poetry by hitesh yadav
  यादें--(भाग--५)