जल कर भी ख़ाक मिली नही कुछ इस तरह से हमें जला दिया। मेरे नाम से भरा खाली मटका गंगा में भी बहा दिया। तो फिर किस बात पर आज अंशु बहा रहे हो साहब जब हममें जान थी तो क्यों न हमें अपना लिया ©Kuldeep Tiwari शहर की गुमनामी है शहर कहा बसाया है।इस धुंधली सी शक्सियत को शहर किसने बनाया है। #City