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पूछो इतने जलने पर भी क्यों मुस्कराता है अपनी तड़प

पूछो 
इतने जलने पर भी क्यों मुस्कराता है
अपनी तड़प सहकर भी, दूसरों के अँधेरे भगाता है
तेरे निकल आने पर ये शहर जगमगाता है
सर्दियों में तू हर किसी को भाता है
और गर्मियों में तुझे हर कोई बेवफ़ा बताता है
ये जख्म पाकर भी तू मुस्कराता है
हर मौसम तुम्हारे लिए ही नहीं
कड़ी धूप का इंतजार भी किसी को सताता है
ये तुम्हें नहीं तो किसी और को भाता है

©Santosh Narwar Aligarh
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