लेखक अपने दिल के जज्बातों को अपने अल्फाजों से जुबां देते हैं। हमारे अल्फाज सोए हुए दिलों में भी प्यार जगा देते हैं। हम चाहें तो अपने शब्दों से दुनियां की नींव हिला सकते हैं। हमारे अल्फाज वीरों के दिलों में देश प्रेम बढ़ा सकते हैं। कभी-कभी हमारे अल्फाज हमें खुद ही रुलाने लगते हैं। कभी-कभी अपने हालात कलम की जुबानी बताने लगते हैं। अपने मन की व्यथा, मन की खुशी शब्दों में जताने लगते हैं। दिल के अरमानों को हम लिखकर ही पूरा कराने लगते हैं। हां हम लेखक है अपने लेखन से कुछ भी संभव बना सकते हैं। रोतों को भी हंसा सकते हैं और सोतों को भी जगा सकते है। -"Ek Soch" #लेखक #साहित्य सहायक