मिथ्या ही बादल नही गरजे होंगे, मिथ्या ही वर्षा नही हुई होगी, तोड़ा होगा उनका भी दिल, किसी सुंदरी ने,किसी रोज रोए होंगे दहाड़कर बेचारे, सहसा छलक पड़े होंगे आंसू, और सब उसे बारिश समझ बैठे होंगे।। अतुकांत कविता #अतुकान्त_मन #yqdidi #yqbaba #yqsad #yqhindi #yqtales