दरवाज़ा ज़िन्दगी के दो पहलू एक दरवाज़े के इस ओर और दूसरा उस ओर, इस ओर अंधेरे में दर्द सिमटा हुआ है, और उस ओर उजालों में भी ना दिखने वाला दर्द, झूठी मुस्कुराहटों का नक़ाब लिए बैठा है, बस इन्हीं दो पहलुओं में ज़िन्दगी उलझ के रह जाती है, अपनों के बीच अपने टूट जाते हैं, इस बेखबर दुनिया में रिश्ते छूट जाते हैं। ©Gunjan Rajput ज़िन्दगी के दो पहलू एक दरवाज़े के इस ओर और दूसरा उस ओर, इस ओर अंधेरे में दर्द सिमटा हुआ है, और उस ओर उजालों में भी ना