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लगता नहीं कहीं भी मिरा दिल तिरे बग़ैर दोनों जहाँ न

लगता नहीं कहीं भी मिरा दिल तिरे बग़ैर
दोनों जहाँ नहीं मिरे क़ाबिल तिरे बग़ैर

कुछ लुत्फ़-ए-ज़िंदगी नहीं हासिल तिरे बग़ैर
पल भर गुज़ारना भी है मुश्किल तिरे बग़ैर

तू ही नहीं तो कौन करे मेरी रहबरी
कटती नहीं हयात की मंज़िल तिरे बग़ैर


nadir

©Urvashi Kaushik
  #tere bagair

#Tere bagair #Poetry

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