हूं मैं अब खामोश...... कल तक था अनभिज्ञ अंजान सभी मानते थे,हाल पूछते थे आज मेरी उम्र उस दहलीज को लांघ क्या गयी वो सब अब पूछते हर बात पर मेरे सपनों के बारे में कुरेदते हैं मेरे दिल को और मैं शांत हो हर एक का सुनता हूं रातों को नयी उम्मीद के सपने बुनता हूं मैं क्या कुछ करना नहीं चाहता क्या मैं कुछ बनना नहीं चाहता चाहता हूं मैं भी अपनी मंजिल को पाना संघर्षरत हूं, लगा हुआ हूं और लोग चाहते हैं जल्दी ही मेरा वहां पहुंच जाना शायद उनकी नजरों में मैं उम्मीद हूं या वो अपने जैसा नहीं चाहते मुझे पाना #हूं_मैं_अब_खामोश कल तक था अनभिज्ञ अंजान सभी मानते थे,हाल पूछते थे आज मेरी उम्र उस दहलीज को लांघ क्या गयी वो सब अब पूछते हर बात पर मेरे सपनों के बारे में