Nojoto: Largest Storytelling Platform

बाजे अस्तोदय की वीणा--क्षण-क्षण गगनांगण में रे। ह

बाजे अस्तोदय की वीणा--क्षण-क्षण गगनांगण में रे।

हुआ प्रभात छिप गए तारे,

संध्या हुई भानु भी हारे,

यह उत्थान पतन है व्यापक प्रति कण-कण में रे॥

ह्रास-विकास विलोक इंदु में,

बिंदु सिन्धु में सिन्धु बिंदु में,

कुछ भी है थिर नहीं जगत के संघर्षण में रे॥
बाजे अस्तोदय की वीणा--क्षण-क्षण गगनांगण में रे।

हुआ प्रभात छिप गए तारे,

संध्या हुई भानु भी हारे,

यह उत्थान पतन है व्यापक प्रति कण-कण में रे॥

ह्रास-विकास विलोक इंदु में,

बिंदु सिन्धु में सिन्धु बिंदु में,

कुछ भी है थिर नहीं जगत के संघर्षण में रे॥