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वो पहली सी मोहब्बत की, नई नई सी जो कशिश थी। मेरे द

वो पहली सी मोहब्बत की, नई नई सी जो कशिश थी।
मेरे दिल में उतरने की, उस ज़ालिम की कोशिश थी।

नज़रों से खेलना जानता था, बातों में ऐसा उलझाया।
कहता था तुमसे मिलने की, बड़ी दिली ख़्वाहिश थी।

पुरजोर कोशिश की उसने, बातों में अपने फाँसने की।
मोहब्बत तो खैर थी ही नहीं, बस एक आज़माइश थी।

तकल्लुफ़ भी खूब उठाया, गली के कई चक्कर काटे।
चाहता था हमें रिझाना, झूठी उसकी ये नुमाइश थी।

चाहता था कहना वो, अल्फ़ाज़-ए-वफ़ा के लफ्ज़ कई।
नज़रों में उसकी वफ़ा न थी, चाहत की कैसी पैमाइश थी। ♥️ Challenge-653 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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वो पहली सी मोहब्बत की, नई नई सी जो कशिश थी।
मेरे दिल में उतरने की, उस ज़ालिम की कोशिश थी।

नज़रों से खेलना जानता था, बातों में ऐसा उलझाया।
कहता था तुमसे मिलने की, बड़ी दिली ख़्वाहिश थी।

पुरजोर कोशिश की उसने, बातों में अपने फाँसने की।
मोहब्बत तो खैर थी ही नहीं, बस एक आज़माइश थी।

तकल्लुफ़ भी खूब उठाया, गली के कई चक्कर काटे।
चाहता था हमें रिझाना, झूठी उसकी ये नुमाइश थी।

चाहता था कहना वो, अल्फ़ाज़-ए-वफ़ा के लफ्ज़ कई।
नज़रों में उसकी वफ़ा न थी, चाहत की कैसी पैमाइश थी। ♥️ Challenge-653 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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