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आंसुओ को बहते देखा है मैंने अपनो के आंसुओ को बहत

आंसुओ को बहते देखा है

मैंने  अपनो के आंसुओ को बहते देखा है
मेरे लिए उन आंसुओ को छुपाते  देखा है
मैंने अपनों को मुझे हिम्मत देते  देखा है
 गिरते, उठते,टूटते ,संभल कर चलते देखा है
 कैसे ऋण चुकाऊंगा उन आंसुओ का
जिन्हें मैंने बहते  देखा है

मां की आंखों में अपने लिए बेहिसाब प्यार देखा है
रातों में जागकर ईश्वर से प्रार्थना करते कई बार देखा है
बातों में उनके अक्सर जीवन का सार देखा है
कैसे ऋण चुकाऊंगा उन आंसुओ का
जिनमें बेहिसाब प्यार देखा है

अपने आंसुओ को छिपाकर मुझे हिम्मत देते देखा है 


पत्नी को मां बनते देखा है
मेरी सारी तकलीफ़ को सहते देखा है
आंसुओ को छिपाकर मुस्कुराते देखा है
मैं तकलीफ़ से दूर रहूं इसलिए उसे संघर्ष करते देखा है

बच्चों को मैंने जबरन मुस्कुराते देखा है
अन्दर ही अन्दर आंसुओ को छिपाते देखा है
ऊंगली पकड़कर चलना सिखाया था जिनको
बनते मेरी हिम्मत, बनते मेरी ढ़ाल देखा है 
कैसे ऋण चुका पाऊंगा इन आंसुओ का
जिनमें मैंने  अपना संसार देखा है

मेरी  आंखों के बहते आंसुओ को
रोकते हुए एक साथ कई हाथों को आगे बढ़ते देखा है
इक आह पर मेरी
एक करते आसमां जमीं देखा है 
करते दुआ मेरे लिए उस रब से लड़ते देखा है
कैसे ऋण चुका पाऊंगा उन आंसुओ का 
जिन्हें मेरे लिए बहते देखा है

©खामोशी और दस्तक #Narendra Verma