परिंदे सोच में हैं ....... आजादी जो छीन लेते थे उनकी वो इंसान कहलाने वाले हैवान कहां हैं? खुली सांस लेते थे अपने घरों में हमें कैद कर जो पिंजरो में। प्यार के नाम पर जीने का हक हमसे छीन लिया , महकती फिजाओं की हवाओं को दूषित कर छोड़ दिया। लॉक करने का बहुत शौख रखते थे जो परिंदों को, देख एक परिंदे ने कैसे उनको लॉक किया । कर्फ्यू से भी बुरा हाल है, आदमी है खौफ में, न दिन में सुकून है न शांति है रातों में। परिंदों को परिंदों से दूर करते थे, खुले आसमान के नीचे पिंजरा रखते थे । देख आज इंसान भी इंसान से दूर हो गया, सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर घरों में कैद हो गया। #parinde sonch me hai na sirf blki #parinde bhut khush bhi hai 😊