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तुमसे बेहद प्यार करता हूँ मगर कुछ इस तरह कि तुम्ह

तुमसे बेहद प्यार करता हूँ 
मगर कुछ इस तरह
कि तुम्हें पता ना चले
एक दर्द है बड़ी शिद्दत से 
जो पालता हूँ मैं 
फ़िर भी 
कभी जो भूले भटके 
तुम पूछ बैठो , "कैसे हो?"
तो मैं बस कह दूँगा 
"सब ठीक ही है" 

ऐसा नहीं
कि मैं देखता ही नहीं तुमको 
बस अब मैं 
चाँद, सितारों में ढूंढता हूँ तुम को 
बात महज़ इतनी ही तो है 
इस बेमतलब सी दुनिया में
मुझे आज भी ख़ुद से तुम्हारी 
गुफ़्तगू करना अच्छा लगता है 

अच्छा लगने की  पूरी फ़ितरत को
अहसासों और लफ्जों में 
बुनता हूँ, और 
परोस देता हूँ सबको, तुम को भी 
बस तुम्हारा जवाब  नहीं माँगता 
क्योँ कि अहसासों के बदले 
तुम से ज़वाब की उम्मीद करना 
तिजारत सा लगता है मुझ को 
और, तुम से ये नहीं चाहता मैं 

शबनम से भीगी हुई सर्द रात में
देर तक जागते हुए अब भी 
कभी कभी सोचता हूँ मैं 
तुम खुले बालों में 
ज्यादा खूबसूरत लगती हो. 
या गेसुओं को समेटकर 
जूड़ा बना लो तो, 
एक खूबसूरत एहसास है न.. 
पर, बस ये सब ख़ुद ही सोच लेता हूँ मैं 
तुम से ज़िक्र नहीं करता अब 

दुनियाँ की जद्दोजहद में 
मसरूफ होता हुआ भी 
कभी-कभी अनायास सोचने लगता हूँ 
कैसे झुमके में ज्यादा अच्छी 
दिखाई दोगी तुम.. 
पर तुम से नहीं पूछता मैं 
बस, ऐसे ही कुछ बेनूर सोचों में 
गुजार लेता हूँ दिन, हर दिन.

©हिमांशु Kulshreshtha
  मेरा प्यार...

मेरा प्यार... #Shayari

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