फ़रवरी माह का ठिठुरता मौसम सात बजे घर से निकलना उस दिन उसका साइंस का था प्रक्टिकल तीनि सहेलियां वैसे तो जाती थी साथ पर उस दिन उनका कोई पेपर ना था वो शर्मीली नादान अल्हड़ सी लड़की जो नजरें सदा थी झुका कर चलती नाइन्थ स्टंडर्ड मे थी जब वो पढ़ती पैदल घर से थी निकलती रास्ते मे ठीक मंदिर से पहले एक नदी थी पड़ती नदी से थोड़ी दूर पहले साईकल पर एक शख़्श सवार था पास से गुजरा और पैरों में गुलाब के फूल डाल दिए ओर जाते हुए कहने लगा तौबा ये हुस्न और उस पर चढ़ता ये शबाब वो डरी सहमी उस दिन स्कूल में थी पहुंची रो रो कर उसका बुरा हाल था अकेले स्कूल में थी जाने से डरती आज जब वो बैठी होती है अकेली तो उस बात को याद कर ज़ोर ज़ोर से है हँसती एक वो ज़माना था एक ये ज़माना है आज भी कुछ कुछ वैसी है वो आज भी नही बदली ©Dr Manju Juneja #फरवरी_माह #शर्मीली #मौसम #गुलाब #कविता #नादान #ठिठुरता #Poetry #हुस्न #OneSeason