चाँद की रोशनी में कुछ यूँ तुम साथ रहो कि जब चांद तुमको मेरे साथ देखे तो वो बादलों संग कहीं गुम हो जाए ,और उसकी रोशनी की क्षणिक अनुपस्थिति मुझे मालूम न हो ; कुछ इस तरह मैं तुममें खोया हुआ रहुं । कुछ इस तरह से मैं तुममें खोया हुआ रहुं कि चांद जब अलविदा कहें मुझे तो मै तेरे साथ के आफताब में डुबा हुआ रहुं । कुछ यूं तुम साथ रहो...... .......