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कश्ती हूं, समंदर की, तूफानों से मुझे लड़ना है, नार

कश्ती हूं, समंदर की, तूफानों से मुझे लड़ना है,
नारी है, वो कलयुग की, अभी उसे कहीं रावण से लड़ना है।। व्याख्या ➡️ नारी भी इस कास्थी की तरह है, को कभी तूफान कभी उच्ची  लहरों से लड़ती  है,  खुद की खुशी के लिए लड़ती है अपने हक के लिए लड़ती है, पिता से इजाजत के लिए, पति से पड़ने के लिए, मा से घर से बहार जाने के लिए, रात को घूमने के लिए, मगर नहीं नारी हूं साहब! लड़ना मेरा पेशा है, जाकर उन दरिंदो की नीघाओं से,  कपड़ों को पहनें ने के लिए, ये कलयुग है, साहब, अपनी खुशियों के लिए लड़ना पड़ता है सीता तो फिर भी खुश थी, आज के रवान ने तो हर नारी को अग्नि परीक्षा में धकेला है।
 
#prateekarora #itsprateekarora
कश्ती हूं, समंदर की, तूफानों से मुझे लड़ना है,
नारी है, वो कलयुग की, अभी उसे कहीं रावण से लड़ना है।। व्याख्या ➡️ नारी भी इस कास्थी की तरह है, को कभी तूफान कभी उच्ची  लहरों से लड़ती  है,  खुद की खुशी के लिए लड़ती है अपने हक के लिए लड़ती है, पिता से इजाजत के लिए, पति से पड़ने के लिए, मा से घर से बहार जाने के लिए, रात को घूमने के लिए, मगर नहीं नारी हूं साहब! लड़ना मेरा पेशा है, जाकर उन दरिंदो की नीघाओं से,  कपड़ों को पहनें ने के लिए, ये कलयुग है, साहब, अपनी खुशियों के लिए लड़ना पड़ता है सीता तो फिर भी खुश थी, आज के रवान ने तो हर नारी को अग्नि परीक्षा में धकेला है।
 
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