लेखन से है लेखनी, लेखन ही आधार । यहाँ सभी की भावना, लेती है आकार ।। नाता निर्मल नेह का, बांधे मन की डोर । ये बंधन अनमोल है, इसका ओर न छोर ।। अनुभव सबसे बाँटते, मिलकर रहते लोग । संबल सबका साथ है, सुंदर ये संयोग ।। पावन गंगा ज्ञान की, बहती इसकी धार । जो डूबा वो पार है, जीवन का ये सार ।। बनी रहे सदभावना, सबका हो सत्कार । ईश्वर से है प्रार्थना, पुष्पित हो परिवार ।। #लेखनी #परिवार की #प्रथम #वर्षगाँठ #दोहा #nojoto #nojotohindi