यह मिलावटों का दौर है मिला के बोलिए रुखा सुखा नहीं मस्का लगा के बोलिए जी जलता है ध्यान भटकता है खाली पेट में कुछ सुनाना हो अपना तो खिला के बोलिए ये जमाना सीधे -सीधे बोलने का है नहीं बोलिए मगर किसी औ पे गिरा के बोलिए जरूरत ही क्या है सच बोलने की आपको आता नहीं जवाब तो घुमा फिरा के बोलिए दबानी हो उसकी और सुनानी हो अपनी ध्यान खीचना हो गर तो चिल्ला के बोलिए ©Subant Kumar dangi #bolie मगर