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अघ जग नाश करे महारानी, भव सागर टर जानी। ठाकुर की म

अघ जग नाश करे महारानी,
भव सागर टर जानी।
ठाकुर की मुहर है श्यामा,
रामा तुलसी महारानी।

पल छीन मोहन के चरणों मे,
रहत सदा लपटानी।
बिन तुलसी कुछहु न स्वीकारत,
महिमा यह सब जग जानी।

करुणामयी तुलसी मइया है,
ठाकुर शिला बनानी।
भक्तन सुलभ किये ठाकुर को,
सब जग बिदित कहानी।

कार्तिक की महिमा तुमसे है,
धूप, दीप ,जल, वाणी।
नित सेवत मिलिहै मोहन हो
अस महिमा जग जानी । तुलसी महारानी
अघ जग नाश करे महारानी,
भव सागर टर जानी।
ठाकुर की मुहर है श्यामा,
रामा तुलसी महारानी।

पल छीन मोहन के चरणों मे,
रहत सदा लपटानी।
बिन तुलसी कुछहु न स्वीकारत,
महिमा यह सब जग जानी।

करुणामयी तुलसी मइया है,
ठाकुर शिला बनानी।
भक्तन सुलभ किये ठाकुर को,
सब जग बिदित कहानी।

कार्तिक की महिमा तुमसे है,
धूप, दीप ,जल, वाणी।
नित सेवत मिलिहै मोहन हो
अस महिमा जग जानी । तुलसी महारानी