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ओ मेरे बाबा, ओ मेरे बाबा साहेब। तू सुन ले मेरी अब।

ओ मेरे बाबा,
ओ मेरे बाबा साहेब।
तू सुन ले मेरी अब।
क्यूं इतना सातवे सै।
एक ब आ जा धरती पै,
चौहान बुलावे सै।
के देजा दर्शन,
तेरे बिन यो मेरा मन।
यो नू ए बैठता जावे सै।
एक ब,,,,,,,,,,,,,,,,।
के तेरे बिना ,
कोन म्हारा मार्गदर्शक।
कोन सच की रहा
दिखावे सै।
एक ब,,,,,,,,,,,,।
ये मेरी आंखें,
रहवे सै बरसन न।
तू समझ मेरे भी मन न।
क्यूं इतना तड़पावे सै।
एक ब,,,,,,,,,,,।
के तेरी गल्या,
मैं खाऊं खेलू नाचूं।
संविधान साथ मैं बांचू।
यो मेरे मन मैं आवे सै।
एक ब आजा धरती पै।
चौहान बुलावे सै।
ताहिर।।।

©TAHIR CHAUHAN
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