दुर कहीं जब दिन ढ़ल जाता है लाली को समेटे सूरज नजर आता है चारों तरफ अंधेरा धुआं की झलक लिए बीच बैठी लाली अग्निमान हो जाता है मनोरम मनमोहक आत्मलीन दृश्य परिदों के घर जाने का शोर दिया बाती की सुनहरी लौं में टिमटिमाते सितारों की कतार सबकें सब इस लालिमा में घुलकर सिमट जाते है जब भी सूरज अस्त हो जाते है