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रात फैली है तेरे सुरमई आँचल की तरह चाँद निकला है त

रात फैली है तेरे सुरमई आँचल की तरह
चाँद निकला है तुझे ढूँडने पागल की तरह

ख़ुश्क पत्तों की तरह लोग उड़े जाते हैं
शहर भी अब तो नज़र आता है जंगल की तरह

फिर ख़यालों में तिरे क़ुर्ब की ख़ुश्बू जागी
फिर बरसने लगी आँखें मिरी बादल की तरह

बे-वफ़ाओं से वफ़ा कर के गुज़ारी है हयात
मैं बरसता रहा वीरानों में बादल की तरह

©Sam
  #surmai
samedatt2026

Sam

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#surmai #Poetry

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