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गुलिस्तां से क़त्ल-ए-गुल करके हम गुलाब लाये थे। आस

गुलिस्तां से क़त्ल-ए-गुल करके हम गुलाब लाये थे।
आसमां से दुनिया में अन्धेरा करके हम माहताब लाये थे।
और आज आप पूछते हैं हमसे हमारी मोहब्बत की इन्तेहा।
कल आपके पैर मे काँटा चुभा था हम अपनी आंखों में आंसुओं के सैलाब लाये थे।


-:::- हैदर अली खान -:::- #Muhabbat_Ki_Inteha #Shayari #NojotoOfficial #NojotoHindi
गुलिस्तां से क़त्ल-ए-गुल करके हम गुलाब लाये थे।
आसमां से दुनिया में अन्धेरा करके हम माहताब लाये थे।
और आज आप पूछते हैं हमसे हमारी मोहब्बत की इन्तेहा।
कल आपके पैर मे काँटा चुभा था हम अपनी आंखों में आंसुओं के सैलाब लाये थे।


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