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जिंदगी के बिखरे पन्नो की किताब पढ़ने बैठा था न जाने

जिंदगी के बिखरे पन्नो की
किताब पढ़ने बैठा था
न जाने कब कैसे 
यादों के शब्दकोष से
कुछ अल्फ़ाज़ बिखर गए
उन पलों से रु-ब-रु करा गए जो
जिए थे कभी तुम्हारे साथ

#सफ़र_ए_इश्क़नामा
(पढें पूरी कविता कैप्सन में) जिंदगी के बिखरे पन्नो की
किताब पढ़ने बैठा था
न जाने कब कैसे 
यादों के शब्दकोष से
कुछ अल्फ़ाज़ बिखर गए
उन पलों से रु-ब-रु करा गए जो
जिए थे कभी तुम्हारे साथ
जिंदगी के बिखरे पन्नो की
किताब पढ़ने बैठा था
न जाने कब कैसे 
यादों के शब्दकोष से
कुछ अल्फ़ाज़ बिखर गए
उन पलों से रु-ब-रु करा गए जो
जिए थे कभी तुम्हारे साथ

#सफ़र_ए_इश्क़नामा
(पढें पूरी कविता कैप्सन में) जिंदगी के बिखरे पन्नो की
किताब पढ़ने बैठा था
न जाने कब कैसे 
यादों के शब्दकोष से
कुछ अल्फ़ाज़ बिखर गए
उन पलों से रु-ब-रु करा गए जो
जिए थे कभी तुम्हारे साथ

जिंदगी के बिखरे पन्नो की किताब पढ़ने बैठा था न जाने कब कैसे यादों के शब्दकोष से कुछ अल्फ़ाज़ बिखर गए उन पलों से रु-ब-रु करा गए जो जिए थे कभी तुम्हारे साथ #एकान्त #सफ़र_ए_इश्क़नामा