कभी बसते थे۔۔۔۔ आंखो में तेरी,काजल की तरह۔ कभी बजते थे۔۔۔۔ पांवो मे तेरे,पायल की तरह۔ अब तो निगाहे फेर ली, क़दम भी मोड़ ली۔ मिस्ल काजलो के रंग۔۔۔ जिंदगी में गमों का अंधकार करके۔ मिस्ल पायलो की झनक۔۔۔ दिल में दर्दो की झनकार करके۔ रुक अय "इब्राहिमी" क़लम कर धीमी۔ यूं ख़ुद को ना कर तबाह۔۔۔ नैनो को इसक़दर अश्क़बार करके۔ shadab AL ibrahimi Rab khayr