खिला था फूल इक बगिया में मदमस्त था अपनी धुन में मुरझाया था खा थपेड़े आंधियों के फिर भी खुश था उसी दुनिया में इक दिन इक भंवरा अपनी मस्ती में जो मस्त था अचानक टकराया उस फूल से खूबसूरती के गुण गाकर फूल को प्यार दुलार दिया कभी चूम जाता फूल को दिन में रात को कभी था कैद हुआ दिन गुज़रे महीने गुज़रे वक्त ने रुख था बदल लिया उड़ गया भंवरा दूर फिर इक दिन फूल को था वो भूल गया याद में बैठ बैठ भंवरे की फूल था एकदम सूख गया ©Anita Mishra #यादें❤️ #Bisri