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समाज के साँचे में न ढालना ख़ुद को, ज़िन्दगी भर पछता

 समाज के साँचे में न ढालना ख़ुद को,
ज़िन्दगी भर पछताओगे..!
क़ैद रहोगे सामाजिक पिंजरे में,
बिन पंखों के पंछी सा फड़फड़ाओगे..!

©SHIVA KANT
  #samaaj

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