बहुत बाबरी थी मैं... जो तुझ पर मरती थी... दुनिया को भुलाकर ... तुझे ही खुदा समझती थी... खुद का खबर नहीं मुझे... बस तेरा ही ख्याल रखती थी... क्या हुआ क्या करना मुझे.. बस तुझे ही हर पल सोचती थी.. भुल गये उस मां को भी मैं.. जो मेरे लिए फिक्र करती थी... जब भी बाते होती दोस्तो से मेरी... बस तेरा ही जिक्र करती थी... बहुत बाबरी थी मैं... जो तुझे बहुत प्यार करती थी... कुछ गलितयों की सजा... उम्र कैंद ही होती है... #love#life