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शमशीर उसके जुबां की चली थी, अपने घरौंदे के शज़र को

शमशीर उसके जुबां की चली थी,
अपने घरौंदे के शज़र को काटने को।

उसे क्या खबर थी, वो अपने हाथ से,
अपने बाजूओं को ही काटने चला था। कहते हैं की बच्चे माँ-बाप का बाज़ू होते हैं। और आज की दुनिया में लोग ये सबसे बड़ा सच भूल जाते हैं। कैसे?? ये आपको ऊपर लिखा शेर और निचे लिखी पन्क्तियाँ बताएँगी। 

पहले शेर में एक इन्सान अपने माता-पिता को जली-कटी सुना के घर से निकल जाने को कह रहा है।

दुसरे शेर में वही इंसान, अंजाने में अपने बेटे को, कहीं ना कहीं तैयार कर रहा है, कि कल उसका बेटा भी उसे घर से निकाल दे जैसे कई सालों पहले उसने अपने माता-पिता को घर से निकाला था।

बाकी आप सब समझदार लगते हो। अपने भविष्य के बारे में सोच कर ही आगे का फैसला ले। क्यूँकी ये तो संसार का नियम है कि मुन्ना जैसा बीज़ बोओगे  वैसा ही फल भी पाओगे।
शमशीर उसके जुबां की चली थी,
अपने घरौंदे के शज़र को काटने को।

उसे क्या खबर थी, वो अपने हाथ से,
अपने बाजूओं को ही काटने चला था। कहते हैं की बच्चे माँ-बाप का बाज़ू होते हैं। और आज की दुनिया में लोग ये सबसे बड़ा सच भूल जाते हैं। कैसे?? ये आपको ऊपर लिखा शेर और निचे लिखी पन्क्तियाँ बताएँगी। 

पहले शेर में एक इन्सान अपने माता-पिता को जली-कटी सुना के घर से निकल जाने को कह रहा है।

दुसरे शेर में वही इंसान, अंजाने में अपने बेटे को, कहीं ना कहीं तैयार कर रहा है, कि कल उसका बेटा भी उसे घर से निकाल दे जैसे कई सालों पहले उसने अपने माता-पिता को घर से निकाला था।

बाकी आप सब समझदार लगते हो। अपने भविष्य के बारे में सोच कर ही आगे का फैसला ले। क्यूँकी ये तो संसार का नियम है कि मुन्ना जैसा बीज़ बोओगे  वैसा ही फल भी पाओगे।