उलझी जिन्दगी को सुलझा रही हूँ... दिल से तेरी यादे मिटा रही हूँ ।। तुझसे मोहब्बत कर के मैंने खुद से दागा किया... तूझे भूल कर खुद से वफ़ा निभा रही हूँ ।। तुम ज़ुबनदराज़ हो रिश्ता निभा न पाओगे... तुम अना परस्त हो मेरा दिल जलाओगे ।। तुझसे फ़ासला बढा रही हूँ ... तेरे सभी खत जला रही हूँ ।।। न आशना हो तुम इज़्ज़त और एहमीयत से.. चलो निकल ही गयी आखिर वेहशत से ।। तुझसे अब न कोई वास्ता होगा... तेरी ही कसम खा रही हूँ ।। #कसम #इज़्ज़त #वेहशत