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जब कभी मैं अपने गांव से मिलता हूं, कैसे हो तुम? ह

जब कभी मैं अपने गांव से मिलता हूं,

कैसे हो तुम? हर बार मुझसे मेरा गाँव 
ये सवाल पूछता है,

जवाब में, मैं बस! ख़ामोश नज़रों से,

हमेशा की तरह मुस्कुरा देता हूं।

©||स्वयं लेखन|| जब कभी मैं अपने गांव से मिलता हूं,

कैसे हो तुम? हर बार मुझसे मेरा गाँव 
ये सवाल पूछता है,

जवाब में, मैं बस! ख़ामोश नज़रों से,

हमेशा की तरह मुस्कुरा देता हूं।
जब कभी मैं अपने गांव से मिलता हूं,

कैसे हो तुम? हर बार मुझसे मेरा गाँव 
ये सवाल पूछता है,

जवाब में, मैं बस! ख़ामोश नज़रों से,

हमेशा की तरह मुस्कुरा देता हूं।

©||स्वयं लेखन|| जब कभी मैं अपने गांव से मिलता हूं,

कैसे हो तुम? हर बार मुझसे मेरा गाँव 
ये सवाल पूछता है,

जवाब में, मैं बस! ख़ामोश नज़रों से,

हमेशा की तरह मुस्कुरा देता हूं।