पता है! मैं अक्सर कहती रहती हूं हां-हां, मुझे सब पता है...! सच शायद कि कुछ नहीं पता है! तुम मुझे भूल तो नहीं पाओगे, पर, अगर जो समय खो दे मुझे, तो क्या तुम मुझे खोजने आओगे? या, बैठोगे उसी निर्मम के भरोसे, और इंतजार में गुजरने दोगे समय के अकथित आयाम? रचने दोगे समय को विरह वेदना, दोनों के हृदयों के लिए चुन सकते हो अंतराल, विराम की जगह, है ना? क्या चयन होगा उचित-अनुचित का? क्या समय से लड़ने को होगा थोड़ा समय तुम्हारे पास? कह दो ना, हां! 🍁🍂 समय 🌻🍃 _________________ पता है! मैं अक्सर कहती रहती हूं हां-हां, मुझे सब पता है...! सच शायद कि कुछ नहीं पता है! तुम मुझे भूल तो नहीं पाओगे,