अरे ... ओ ......सुनो ..... न ...... चलो कहती हूँ आज, मैं सिर्फ तेरी हूँ ..... न कभी चाहा तेरे सिवा किसी को, न कभी खोलूँगी ये दिल किसी के लिए, सिर्फ तेरी नज़रों की चाहत है मुझे,,,, खुद को सँवारूंगी सिर्फ तेरे लिए। देखो .. न .... बदलियाँ भी छाई हैं .... बूँदें भी बरसी हैं रुक -रुककर, शाम .....थोड़ी ठहरी है , देखूँ तुझे ,थोड़ा मुड़कर , अब आओ न .. फिर से "न जाने के लिए"....... लौ को जलाकर बैठी हूँ सिर्फ़ अपने परवाने के लिए। बोलो .. न ..... कितना इंतज़ार कराओगे, मेरे इस नाजुक दिल को.. और कितना तड़पाओगे, कब लौटकर आओगे .... दर पे आके बैठी हूँ , तुझको बुलाने के लिए ....... आकर गले लग जाओ न, सिर्फ मेरा कहलाने के लिए। कहो .. न ..... अब और कितना रुलाओगे मेरी इन उदास आँखों को .. और कितना तरसाओगे .... कब इनकी प्यास बुझाओगे, लिये जो सात फ़ेरे हैं ,उन्हें दिल से निभाने के लिए .. आओ न सात जन्मों तक फिर से बँध जाने के लिए। 🍁 हर जनम में मुझे अपना सिर्फ अपना बनाने के लिये,🍁 🍁 आओ न मेरी ज़िंदगी खुशियों से महकाने के लिए।🍁 सच में हाँ ❣️❣️ ©Neel सुनो न...🍁