कमियाँ भी बहुत हैं हममें नुक्स भी बहुत हैं देखती हो बहुत ग़ौर से हर ऐब तुम हमारा अगर कभी वक्त मिले तो ख़ुद पर भी ग़ौर करना कमियों से परे नहीं है ये वजूद भी तुम्हारा उस आख़िरी पन्ने पर बोलो क्या लिखूं मैं कोरा ही छोड़ दूँ या लिख दूँ नाम फिर तुम्हारा लूट लेते हैं अपने ही अपना हमें बनाकर गै़रों को क्या पता है क्या राज़ है हमारा पहले-पहल तो उसने भी जी भर के था मुझे चाहा फिर एक दिन उसका दिल मुझसे भी भर आया क्या दिलों से खेलना ही नया शौक है तुम्हारा वापस तुम मुझे कर दो टूटा ही दिल हमारा टूटकर फिर से जुड़ना सीखा अभी नहीं है टूटा भी तो था वो ऐसे कि फिर जुड़ा नहीं दोबारा… © abhishek trehan #Pain #ishq #broken #love #story #Hindi #kavita #shyari