हर बार का बिछड़ना कमबख्त बहुत सताता है... आशु बनके अकेलेपन में छलक आता हे.... तेरी बेबसी चाहत को बया कर रही हे..... हम भी इंज़ार में तेरे मिलकर फिर से बिछड़ना चाहते हे जब भी पलके झुकाते है तुम्हारे करीब होने के एहसास में खो जाते हे के नज़ारे ऊटी के ख्वाब से बाहर खुद को तनहा पाते हे ... हर बार का बिछड़ना कमबख्त बहुत सताता है... आशु बनके अकेलेपन में छलक आता हे..... ©G0V!ND DHAkAD #bebsi or #ishq