आज यहाँ पर धूम मची है, देखो सत्ता के गलियारों में, राण की भेदी बज चुकी है, युद्ध चुनाब मैदानों में, कोई यहाँ आलू से, सीधा सोना है बनवाता, कोई यहाँ पहन जनेऊ, पंडित है बन जाता, सत्ता के लालच ने देखो, कैसी चाल चलाई, बेटा यहाँ बाप से पूछे, तू कौन है भाई, एक कहे सत्ता है भइया, एक कांटो का ताज, पर मजबूरी में देखो भइया, टूटी साईकिल पर हाथी सवार..!! ये मेरे वयक्तिगत राय है।किसी को दुःख पंहुचा हो मेरी लेखनी से तो माफ़ करें।धन्यवाद