अपनी ही ख़ामोशी में जब तुम गुम हो जाते हो बोलते तो हो पर कुछ भी कह नहीं पाते हो बेसबब तुम्हें पुकारती हूँ बार-बार देती हूँ ना जाने कितनी आवाज़ हाँ! करती हूँ बेमतलब की बात ताकि तुम्हें लौटा लाऊँ अकस्मात उन अवगुंठनों से,शीत से समय से कुंठाओं के जाल से,आत्मविगलन से। और हँसती हूँ, बेढब विदूषिका सी ताकि जीवन गुदगुदाता रहे तुम्हें बार-बार। फिरती हूँ पागल-पागल सी लिए चलूँ तुम्हें भी कल्पना के साथ। तंग करती हूँ कि बारगी चीखकर तोड़ दो ये चुप्पी का कारागार... अवरुद्ध ये द्वार। परिचित हूँ, क्या है सन्नाटे की चीख पुकार! इसलिए बोलती हूँ...हँसते बोलते रहो बस यही एक सिक्का बोलता है... चलता जाता है जीवन का कारोबार जीत पर हँसो,ठहाके लगाओ जब जाओ हार हथेली पर तितली सा ही तो है संसार और शायद ऐसा ही है इससे प्यार #toyou#lonliness#beingwith#yqlivelyness#yqlife