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सुनो गौर से ओ मुसाफ़िर तनिक ठहर कर बात करो तुम लौट

सुनो गौर से ओ मुसाफ़िर
तनिक ठहर कर बात करो तुम
लौट आने का वादा करो फिर

बहुत उथल पुथल मचा रखी है
तुमने अपने लालच से यहाँ
घाव बना दिए तुमने जिस्म पे गहरे
उनको दिखाने जाऊँ कहाँ 

जीना चाहती थी संग तुम्हारे
बनकर खुशियों की एक बगिया
पर संग में रहकर तुमने भी
धोखा दिया मुझको कितना बढ़िया

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है
तन पे लगे सब घाव भरो तुम
साथ रहोगे हरदम मेरे
अपने आप से वादा करो तुम

सैर करोगे आ कर मेरी तुम
जिस्म ना बेचोगे कभी तुम मेरा
इक प्रेमिका बनकर प्रेम से
हरदम ख्याल रखूँगी मैं भी तेरा

©Dinesh Kumar #nojotohindi #tmasweb #Waadiyan #Poetry
सुनो गौर से ओ मुसाफ़िर
तनिक ठहर कर बात करो तुम
लौट आने का वादा करो फिर

बहुत उथल पुथल मचा रखी है
तुमने अपने लालच से यहाँ
घाव बना दिए तुमने जिस्म पे गहरे
उनको दिखाने जाऊँ कहाँ 

जीना चाहती थी संग तुम्हारे
बनकर खुशियों की एक बगिया
पर संग में रहकर तुमने भी
धोखा दिया मुझको कितना बढ़िया

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है
तन पे लगे सब घाव भरो तुम
साथ रहोगे हरदम मेरे
अपने आप से वादा करो तुम

सैर करोगे आ कर मेरी तुम
जिस्म ना बेचोगे कभी तुम मेरा
इक प्रेमिका बनकर प्रेम से
हरदम ख्याल रखूँगी मैं भी तेरा

©Dinesh Kumar #nojotohindi #tmasweb #Waadiyan #Poetry
dineshkumar5033

Dinesh Kumar

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