कदम जब बढ़ाया अपने मंज़िल की तरफ़, मन में एक अजीब सा डर था, और साथ ही साथ एक उत्सुकता भी, जीवन में कुछ करने का जज्बा भी,,,लड़खड़ाया कदम पर संभालने को कोई ना था, गिरती थी और खुद ही संभलती थी, मैं ही अपनी हिम्मत थी और मैं ही भरोसा, उन पथरीले राहों पर उम्मीद को अपनी बैशाखी बनाया, असफ़लता को अपनें लिये एक और अवसर समझा, आँसुओं को अपनी ताकत बनाया, बस फ़िर क्या था हार के उस अंधकार को चीरते हुये अपने आत्मविश्वास के साथ बढ़ती चली गयी, फ़िर एक वक्त आया जब मैं अपनी मंजिल के करीब थी, आज फ़िर मन में अजीब सा डर था लेकिन इसका अनुभव बहुत ही अलग था,, ऑरव से आँसू आज भी निकले पर ये ख़ुशी के थे मेरी सफ़लता के थे, जो रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे,, आज बहुत शुकून महसूस कर रही थी, मानों बरसों का देखा हुआ कोई ख़्वाब पूरा हो गया,, सच सफ़लता बहुत ही खूबसूरत होती है, और ये एहसास मुझे मेरी सफ़लता मिलनें के बाद हुआ,,आज फ़िर से एक और सपने को देखने की हिम्मत मिली,और नया आत्मविश्वास भी,, आज सब कुछ नया लग रहा था,,... #ownthought #lifequotes #yqbaba #yqdidi #yqquotes