गम की बदली में चमकता एक सितारा हैं, आज अपना हो ना हो पर कल हमारा है, गम की गैरों की नहीं बल्कि अपना सहारा हैं, आज अपना हो या ना हो पर कल हमारा है, गर्दिशों में हार कर ओ बैठने वाले, तुझको क्या खबर नहीं अपने भी पैरों में छाले हैं, पर नहीं रुकते कदम की मंजिल ने पुकारा हैं, आज अपना हो ना हो पर कल हमारा हैं। यह कदम मै से है जो सागर पाट देते हैं, ये वो धाराएं हैं जो पर्वत काट देते हैं, स्वर्ग इन हाथों ने धरती पर उतारा हैं, आज अपना हो ना हो पर कल हमारा है। सच है डूबा सा है दिल जब तक अंधेरा हैं, इस रात के उस पार लेकिन फिर सवेरा हैं, हर समंदर का कहीं पर तो किनारा हैं, आज अपना हो ना हो पर कल हमारा है।।। -"सुधांशु पांड़े"- "सुधांशु पांड़े" की अमर लेखनी से...