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Rain Day Images महफ़िल दिल्ली की, पहुँची जब पंजाब श

Rain Day Images महफ़िल दिल्ली की, पहुँची जब पंजाब शहर,
पंजाब की शुद्ध हवा से युक्त थी सहर,
लगने लगा बस अब मिली है सही डगर,
बस ऐसे ही हो सारे पहर।

समय बीत गया अब मेकअप लगने लगा,
सहर जाने लगी, सूरज छेड़ने लगा।
सूरज भी अब उसे ज्येठ लगने लगा,
पर वो वो बस इतना कहती, यार बहुत गर्मी हैं।

निकल पड़ें हम घरों से, पहुँच गए विवाह स्थल,
अब स्थिति और चुकी थी बदल,
अब बात छेड़ने से ,अत्याचार पर आ टिकी थी,
वो पगली फिर भी कहती " यार बहुत गर्मी है"।

समझ न पा रहा था, क्या बीत रही थी उस पर,
सूरज का प्रकोप अब था चरम सीमा पर,
ठंडे पानी से भी राहत थी कोसों दूर,
उनके लफ्ज़ो पर केवल यही था " यार बहुत गर्मी है"।

एक पहर बीत गया, लोगों का सैलाब भी उमड़ गया,
ये सूरज की करतूत से, मेकअप का हाल बिगड़ गया,
लड़की का मेकअप बिगड़े तो क्या कहे,
वो तो बस यही कहती " यार बहुत गर्मी है"।

अब तो घर लौटने की जल्दी वो करने लगी,
गर्मी की वजह से नशे का ढोंग करने लगी।
ए सी के वियोग में समय पर दोष मढ़ने लगी,
बात बात पर कहती- "यार बहुत गर्मी है"। 

बातों बातों में चार पहरों का पता न चला,
कब ये अनजान लोग दोस्त बने पता न चला,
रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में ये आँखे थक गई,
पर वो कहते कहते न थकी- "यार बहुत गर्मी है" बहुत गर्मी है "बहुत गर्मी है"

महफ़िल दिल्ली की, पहुँची जब पंजाब शहर,
पंजाब की शुद्ध हवा से युक्त थी सहर,
लगने लगा बस अब मिली है सही डगर,
बस ऐसे ही हो सारे पहर।

समय बीत गया अब मेकअप लगने लगा,
Rain Day Images महफ़िल दिल्ली की, पहुँची जब पंजाब शहर,
पंजाब की शुद्ध हवा से युक्त थी सहर,
लगने लगा बस अब मिली है सही डगर,
बस ऐसे ही हो सारे पहर।

समय बीत गया अब मेकअप लगने लगा,
सहर जाने लगी, सूरज छेड़ने लगा।
सूरज भी अब उसे ज्येठ लगने लगा,
पर वो वो बस इतना कहती, यार बहुत गर्मी हैं।

निकल पड़ें हम घरों से, पहुँच गए विवाह स्थल,
अब स्थिति और चुकी थी बदल,
अब बात छेड़ने से ,अत्याचार पर आ टिकी थी,
वो पगली फिर भी कहती " यार बहुत गर्मी है"।

समझ न पा रहा था, क्या बीत रही थी उस पर,
सूरज का प्रकोप अब था चरम सीमा पर,
ठंडे पानी से भी राहत थी कोसों दूर,
उनके लफ्ज़ो पर केवल यही था " यार बहुत गर्मी है"।

एक पहर बीत गया, लोगों का सैलाब भी उमड़ गया,
ये सूरज की करतूत से, मेकअप का हाल बिगड़ गया,
लड़की का मेकअप बिगड़े तो क्या कहे,
वो तो बस यही कहती " यार बहुत गर्मी है"।

अब तो घर लौटने की जल्दी वो करने लगी,
गर्मी की वजह से नशे का ढोंग करने लगी।
ए सी के वियोग में समय पर दोष मढ़ने लगी,
बात बात पर कहती- "यार बहुत गर्मी है"। 

बातों बातों में चार पहरों का पता न चला,
कब ये अनजान लोग दोस्त बने पता न चला,
रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में ये आँखे थक गई,
पर वो कहते कहते न थकी- "यार बहुत गर्मी है" बहुत गर्मी है "बहुत गर्मी है"

महफ़िल दिल्ली की, पहुँची जब पंजाब शहर,
पंजाब की शुद्ध हवा से युक्त थी सहर,
लगने लगा बस अब मिली है सही डगर,
बस ऐसे ही हो सारे पहर।

समय बीत गया अब मेकअप लगने लगा,
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