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उसको जिससे इश्क़ था,अब वो शख्स नही हूँ मै रकीब उसे

उसको जिससे इश्क़ था,अब वो शख्स नही हूँ मै
रकीब उसे छूता लिबास है,रुमाल भी नही हूँ मै

उसकी आँखों मे आता है,अब वो ख्वाब नही हूँ मै
मै महज इक जुगनू हूँ,रोशन माहताब नही हूँ मै

दिन का वक़्त गुजारा हूँ,बसर सी रात नही हूँ मै
यानी मुफ्त का फूटपाथ हूँ,उसका घर नही हूँ मै

वक्त मिले तो याद आऊ,वर्ना जरूरी नही हूँ मै
उसका सस्ता तावीज हूँ,गले का हार नही हूँ मै

पड़े नजर तो देख लेती है,गौर करने जैसा नही हूँ मै
कलाई की घड़ी हूँ उसके,उसका मोबाइल नही हूँ मै

बात करते चुप हो जाता है,अब मुसलसल नही हूँ मै
यानी सौतेले जैसा कुछ हूँ,उसका सगा नही हूँ मैं..।।

©Mansal Taak #बिछडने#का#दर्द
उसको जिससे इश्क़ था,अब वो शख्स नही हूँ मै
रकीब उसे छूता लिबास है,रुमाल भी नही हूँ मै

उसकी आँखों मे आता है,अब वो ख्वाब नही हूँ मै
मै महज इक जुगनू हूँ,रोशन माहताब नही हूँ मै

दिन का वक़्त गुजारा हूँ,बसर सी रात नही हूँ मै
यानी मुफ्त का फूटपाथ हूँ,उसका घर नही हूँ मै

वक्त मिले तो याद आऊ,वर्ना जरूरी नही हूँ मै
उसका सस्ता तावीज हूँ,गले का हार नही हूँ मै

पड़े नजर तो देख लेती है,गौर करने जैसा नही हूँ मै
कलाई की घड़ी हूँ उसके,उसका मोबाइल नही हूँ मै

बात करते चुप हो जाता है,अब मुसलसल नही हूँ मै
यानी सौतेले जैसा कुछ हूँ,उसका सगा नही हूँ मैं..।।

©Mansal Taak #बिछडने#का#दर्द
mansaltaak6215

Mansal Taak

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