*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“24/2/2022”*📚 🖋️*“गुरुवार”* 🌟 “अधिकार”...न “साधारण” सा “शब्द” है न ही “व्यापार”,“स्वयं ईश्वर” ने “मनुष्य” को “जीवन” जीने का “अधिकार” दिया है, किंतु जब बात आती है “स्त्री” के “अधिकार” की तो उस “अधिकार” के साथ “कर्तव्य” जुड़ जाता है, अब स्त्री के अनेक “अधिकारों” में से एक “अधिकार” है “स्वयं का वर” चुनना, कोई ऐसा “व्यक्ति” चुनना जो “स्वयं” के साथ साथ “पत्नी” के साथ साथ,“परिवार” के साथ साथ इस “समाज” का “वर्चस्व” ऊचा करे, लेकिन “इंसान”, “धर्म”,“जाति”, “गोत्र”, “कुंडली” और “वेतन” देखने के बाद कहता है कि “जोड़ियां” तो ऊपर वाला ही बनाता है, जब “ऊपरवाला (ईश्वर)” “जोड़िया” बनाता है तो ये सब करने की आवश्यकता ही क्यों ? जहां एक “स्त्री” और “पुरुष” अपने “जीवन को जीने” के लिए “खुश” है, “जीवन” में आगे बढ़ने के लिए “खुश” है, तो ये सब क्यों ? इसलिए आप भी अपने “जीवन” में इस “अधिकार” के साथ इस “कर्तव्य” को पूरा किजिए, अपना “योग्य वर” अवश्य चुनिए आपका हर “स्वप्न” पूरा होगा... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“24/2/2022”*📚 ✨ *“गुरुवार”*🌟 #“स्त्री” #“अधिकार”