अब मौन हम तो बैठे हुए है, सुप्त तारे गिन रहे है, टिमटिमाना अब न देखते, दिल मे वो तो अब न देखते, प्रकाश पथ है कहाँ, लक्ष्य देखता है जहाँ, योगेश कुमार मिश्र"योगी" पथ प्रदर्शक