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में हूँ..... एक भारतीय नारी! अबला- सबला या हो मॖदु

में हूँ..... एक भारतीय नारी!
अबला- सबला या हो मॖदुला;
भारतीय नारी सब‌ पे भारी!
आ जाये जब जिम्मेदारी...
निभाती हैं.....दुनियादारी!
मूरत हैं..प्यार की आत्मसम्मान से भरी!
कभी दिन दुखयारी तो.....
 कभी सुख-दुःख से हरी-भरी!
स्वीकार करना उसकी हर एक बात.।।
वही हैं ...ममता और प्रेम का सारवार!
सहजती ..संभालती..अपने‌ पैरों पर खड़ी;
अपना सब काम‌ पूरे मन से कर दिखाती!
रास्ते हो डगमग..या हो अंधेरे का डर;
तय करती अपनी मंजिल सबॖ रख कर!
मंजिल तक जाना हैं..कुछ कर दिखाना हैं;
पाकर साथी का साथ लें हाथों में हाथ;
अपनी ही दुनिया को जन्नत बनाना हैं!
संघषऀ भरी दुनिया में एक नया जहाँ बसाना‌ है!

©Monika Shah में हूँ..... एक भारतीय नारी!
अबला- सबला या हो मॖदुला;
भारतीय नारी सब‌ पे भारी!
आ जाये जब जिम्मेदारी...
निभाती हैं..... दुनियादारी!
मूरत हैं..प्यार की आत्मसम्मान से भरी!
कभी दिन दुखयारी तो.....
 कभी सुख-दुःख से हरी-भरी!
में हूँ..... एक भारतीय नारी!
अबला- सबला या हो मॖदुला;
भारतीय नारी सब‌ पे भारी!
आ जाये जब जिम्मेदारी...
निभाती हैं.....दुनियादारी!
मूरत हैं..प्यार की आत्मसम्मान से भरी!
कभी दिन दुखयारी तो.....
 कभी सुख-दुःख से हरी-भरी!
स्वीकार करना उसकी हर एक बात.।।
वही हैं ...ममता और प्रेम का सारवार!
सहजती ..संभालती..अपने‌ पैरों पर खड़ी;
अपना सब काम‌ पूरे मन से कर दिखाती!
रास्ते हो डगमग..या हो अंधेरे का डर;
तय करती अपनी मंजिल सबॖ रख कर!
मंजिल तक जाना हैं..कुछ कर दिखाना हैं;
पाकर साथी का साथ लें हाथों में हाथ;
अपनी ही दुनिया को जन्नत बनाना हैं!
संघषऀ भरी दुनिया में एक नया जहाँ बसाना‌ है!

©Monika Shah में हूँ..... एक भारतीय नारी!
अबला- सबला या हो मॖदुला;
भारतीय नारी सब‌ पे भारी!
आ जाये जब जिम्मेदारी...
निभाती हैं..... दुनियादारी!
मूरत हैं..प्यार की आत्मसम्मान से भरी!
कभी दिन दुखयारी तो.....
 कभी सुख-दुःख से हरी-भरी!

में हूँ..... एक भारतीय नारी! अबला- सबला या हो मॖदुला; भारतीय नारी सब‌ पे भारी! आ जाये जब जिम्मेदारी... निभाती हैं..... दुनियादारी! मूरत हैं..प्यार की आत्मसम्मान से भरी! कभी दिन दुखयारी तो..... कभी सुख-दुःख से हरी-भरी! #कविता #adishakti