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हम सब जाने कितने ख़्वाब, अरमान, हसरतें लिये बैठें

हम सब जाने कितने ख़्वाब, अरमान, हसरतें लिये बैठें हैं....
कैदी हैं सब मन के, रिहाई की उम्मीद लिए बैठें हैं....

Shobha Gahlot... me and my sentiments..
हम सब जाने कितने ख़्वाब, अरमान, हसरतें लिये बैठें हैं....
कैदी हैं सब मन के, रिहाई की उम्मीद लिए बैठें हैं....

Shobha Gahlot... me and my sentiments..