*★बेटियां*★* बारिश की बूंदों सी होती है "बेटियां", स्वतंत्र आसमान से, धरती पर आकर कीचड़ में मिल जाती है "बेटियां", खुशियों के बचपन में रहने वाली पापा की वो परियां, ताउम्र बहुएं बन कर रह जाती है "बेटियां", शादी के प्यारे से लाल कपड़े का झांसा देकर खरीदी जाती है "बेटियां", सभी परिचितों से रिश्ता तोड़, अनजान जगहों में बस जाती है "बेटियां", एक खिले बाग को उजाड़ कर, उजड़े बाग को सजाती है "बेटियां", छोड़कर पापा का साया, मां के आंचल से दूर होकर, बन जाती है किसी अनजान का सहारा "बेटियां", दिल की हर बात मां से कहने वाली, सारे अरमान दिल में दबा लेती है, अब वो "बेटियां", कलम की स्याही हर बार कम पड़ जाती है, पूरा कभी लिख ना सकूं, वो अधूरा सा शीर्षक है "बेटियां"!!!! ✍️→Àk47 ©Ak47create A poem for daughters on girl's day #zindagikerang